अनुज अनुपमा को घर वालो से दूर करना चाहता है। 26 December

आज अनुपमा सीरियल की शुरुवात अनुज और बापू जी के बात – चीत से होती है बापू जी अनुज से पूछते है क्या हुआ अनुज इस तरह खड़े होकर क्या सोच रहे हो। अनुज कहता है कुछ नहीं बापू जी , तब बापू जी बोलते है मेरी आंखे इतनी बूढ़ी तो नहीं हुई है की तेरी परेशानी को ना देख पाए।

बोल बेटा क्या परेशानी है। अनुज उत्तर देता है अपनी अनुपमा को लेकर परेशान हु बापू जी, मेरी अनुपमा एक लेकिन परिवार दो है। और उन दोनों परिवारों के बिच में अपनी अनुपमा को पिसते हुए देख के मेरा दिल टूट जाता है बापू जी आप के यहाँ माँ , वनराज , तोषु , पाखी यह चाहते है की मेरी अनुपमा जान निकल कर प्लेट में इनको परोस से सामने और उस जान के लिए यह लोग धन्यवाद नहीं देंगे।

अनुज ने चली अनुपमा को घर वालो से अलग करने के लिए एक नई चाल

उल्टा उसे बाते सुनाएंगे कोशेंगे, तने देंगे , लेकिन अनुपमा है की उसे तो ना बोलना आता ही नहीं बापू जी वो इसी चक्कर में पिसती जा रही है इतना चिंता करती है बापू जी की मै उसका पति हूँ मै उससे उसका दर्द पीड़ा समझ सकता हूँ। इस कारण से अनुपमा यह भूल गई है बापू जी की उसका एक परिवार और भी है।

उस बची को जिसे अपनी माँ क बहुत आवश्यकता है अनुपमा अपने सी परिवार पर ध्यान नहीं दे पा रही है। बापू जी अपनी बेटी के आशु समझे नहीं जाते उसे पूछा जाता है।

लेकिन उस बेटी के आशु पोछने के लिए उसकी माँ उसके पास है ही नहीं। बापू जी – मै समझा हूँ बेटा तेरा और छोटी अनु का अनुपमा से आशा करना बिलकुल सही है।

लेकिन अनुपमा को अब रोकना पड़ेगा। आवश्यक नहीं जो अब तक होता आया है वही सही है। और आगे भी वैसा ही होता रहेगा। बापू जी मेरी अनु आपको और बा को अपने माँ बाप से बढ़ कर मानती है। मै भी आपको मानता हूँ।

आज जब मै ऑफिस से आया था तो अपने अपना मेरे माथे पर रखा तो , मुझे अपने पिता जी की याद आ गई। और शायद इसी लिए मै इतना कुछ आप से कह गया। बापू जी अगर जाने अनजाने में मैंने आपसे कोई ऐसी बात कह दी हो जो मुझे आपसे नहीं कहना चाहिए तो , मुझे क्षमा कीजियेगा।

बापू जी – अरे नहीं नहीं बेटा , तभी बा दिखती है जो अनुज और बापू जी की बाते सुन रही होती है और बहुत गुस्से में होती है। अगले सीन में अनुपमा दिखती है अपने दोनों बेटियों परी और ज्योति के साथ और आपस में बात कर रही होती है तभी अनुज कमरे के दरवाजे के पास पहुँचता है और वही खड़ा होकर उनकी बाते सुनने लगता है।

और कहता है अभी इनको परेशान नहीं करते है। और यह कह उनकी तस्वीर खीचने लगता है। और फोटो खींच कर दरवाजा बंद करके वापस जाने लगता है तभी कुछ दूर जाने के बाद खड़ा होकर कुछ सोचने लगता है।

और अगले सीन में बा सिखाती है जो बहुत गुस्से में होती है और अपना कपडा पैक कर रही होती है तभी कमरे में बापू जी आ जाते है। और देखते है की बा अपना कपडा पैक कर रही है। यह देख कर अचंभित हो जाते है। और पूछते है अब क्या हो गया।

बा बोलती है सच सामने आ ही गया मैंने आपकी और आपके लादले दामाद की सभी बाते सुन ली। मगर उसे हमारे यहाँ रहने से इतनी परेशानी है न तो चलो हम हमारे घर ही चले जाते है।

बापू जी – हम वहा नहीं जा सकते है बा – क्यों , बापू जी – तोषो ने कहा है जब तक हम यहाँ है घर की मरम्मत करवा लेता हु। परी को वैसे ही धूल मिटटी से दूर रखना पड़ता है जैसे वो अपना पाइप लाइन डालनी है नई बिजली की तार बदलनी है छोटे मोटे काम है उसे पूरा हो जाने दो तब चलेंगे।

जाना है तो जा सकते है लेकिन फिर वह वो बिजली पानी कुछ भी नहीं मिलेगा। बा बेड पर बैठ जाती है और अपना अपने माथे पर हाथ रख कर उदास हो जाती है।

बापू जी – गिलास में पानी निकल कर बा को देते है और कहते ले पानी पी ले और शान्त हो जा, बा – नहीं पीना है। पानी मेरे सर पर डालिए। घर में कोई मटका हो तो उसे भी फोड़िए मेरे सर पर , बापू जी – गिलास का पानी बा के ऊपर डाल देते है। , बा – क्या कर रहे है आप , बापू जी – पत्नी का आदेश मानना पति का परम धर्म है वही निभा रहा हूँ।

तो अभी उठजा मै वह मटका ढूढ़ कर लाता हूँ। , बा – हस्ती है आप भी न , बापू जी – क्या है न लोग मेहमान बन के जाते है और मेहमान बन के ही रहते है। और फिर शिकायत भी करते है।

की हमें अपना नहीं समझते अरे भाई घर को अपना समझ कर शान्ति और प्यार से रहो न। घर के कामो में हाथ बटाओ हाथ नहीं बटा सकते तो कम से कम अच्छी बातें करो।

Leave a Comment